जब खुशियों का होता माहोल
नाचना ज़रूर चाहिये
जब मेहर करे माँ अनमोल
नाचना ज़रूर चाहिये
बचौं पे मईया जी के बडे उपकार हैं
हर पल दिये माँ ने लाखो अपहार हैं
कभी होने न्ही दिया ड़ावा डोल
मुल न्ही मन्ग्ती वेयाज़ न्ही मन्ग्ती
कोई भी हिसाब और किताब न्ही मन्ग्ती
बैठी सुखो के खज़ाने माँ खोल
नाच के मनाते जो भी शुकर महारानी का
गाते शुकराना जो भी अम्बे महारानी का
वेडे बजते ऊन क ढोल
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