मईया जी मेरी बेटी चली ससुराल
रख्ना उसका खयाल
मईया जी मेरी बेटी चली ससुराल
हमने दिल के जिस टुकडे को,बांहो का झूला झुलाया माँ
आज ये समझा अज ये जाना, वो तोह धन है पराया माँ
पलको के निचे रखा छुपा कर x 2
पुरे अठ्हरा साल
मईया जी मेरी बेटी चली ससुराल
नाज़ो पली जिस लाड्ली की हमने हर ज़िद की है पूरी माँ
उसी को घर पे रख न्ही सकते हाए कितनी मजबूरी माँ
उसे बिछुड़ता देख के अपना x 2
हाल हुआ बेहाल
मईया जी मेरी बेटी चली ससुराल
अपनी दया और अपनी दुआ का आंचल उसको देदे ना
मेरी पूजा मेरे जप तप का फल उसको देदे ना
आंख की पुतली का कभी जग मे x 2
बाँका होए ना बाल
मईया जी मेरी बेटी चली ससुराल
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