ओढ़ के चुनरिया लाल,
मैं नाचू तेरे अंगना मे,
दर पे आऊ हर साल,
ओढ़ के चुनरिया लाल,
मैं नाचू तेरे अंगना मे,
पाओ में अपने बांध के घुंगरू।
आठो पहर तेरे नाम को सिमरु।।
और बजाऊ खड़ताल,
मैं नाचू तेरे अंगना मे।
ओढ़ के चुनरिया लाल।
मैं नाचू तेरे अंगना मे।।
लाल लाल चुनरि लाल लाल चोला
रूप बढा है माँ का अन्मोला
शक्ती अजब कमाल
मैं नाचू तेरे अंगना मे।
ओढ़ के चुनरिया लाल।
मैं नाचू तेरे अंगना मे।।
बिन तेरे मोहे कुछ ना भाये
वयाकूल मन मेरा चेन ना पाए
आजा माँ इक बार
मैं नाचू तेरे अंगना मे।।
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