निमि निमि तारेयाँ दी लौ पुजरियाँ ने बुहा खोलेया,
उचेया सिंघासना ते मईया नु बिठा के,
चंदन दा माये तैनू तिलक लगा के,
फुलां दी मेहेकी खुश्बो,
पुजरियाँ ने बुहा खोलेया।।
निमि निमि तारेयाँ दी लौ पुजरियाँ ने बुहा खोलेया।।
ममता दे वेडेयाँ च वजन नगाड़े,
भगत तेरे नी बोलन माँ दे जैकारे,
जोतां दी जग मग लौ,
पुजरियाँ ने बुहा खोलेया।।
निमि निमि तारेयाँ दी लौ पुजरियाँ ने बुहा खोलेया।।
मन्दर दी शोभा है जग तोह नियारि,
अन्दर है बैठी मईया शेरसवारी,
चरणा च गये हाँ खलो,
पुजरियाँ ने बुहा खोलेया।।
निमि निमि तारेयाँ दी लौ पुजरियाँ ने बुहा खोलेया।।